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NEW DELHI: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा कि दिल्ली के पुराना किला के पास मिले सबूत महाभारत काल यानी 1100 ईसा पूर्व के आस-पास के नजर आ रहे हैं. एएसआई के निदेशक वसंत स्वर्णकार का कहना है कि उन्हें किले में खुदाई के दौरान रंगे हुए मिट्टी के बर्तन मिले हैं. इनका संबंध महाभारत काल से है.
दिल्ली के पुराने किले में चल रहे खुदाई अभियान वसंत स्वर्णकार की ही देख-रेख में हो रहा है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग कालखंड को अलग-अलग मिट्टी के बर्तनों की शैलियों से पहचाना जाता है. यहां मिले मिट्टी के बर्तन ग्रे रंग से रंगे हुए हैं और इन पर काले रंग से डिजाइन और स्ट्रोक्स बनाए गए हैं.
1970 में शुरू हुई थी खोज- एएसआई
एएसआई के निदेशक स्वर्णकार ने कहा कि 1970 के दशक में भारत के प्रसिद्ध पुरातत्वविद बीबी लाल ने महाभारत में बताए गए स्थानों पर खुदाई शुरू की थी. उन्होंने बाद में निष्कर्ष निकाला कि सबसे गहरी सांस्कृतिक परत रंगे हुए मिट्टी के बर्तन ही थे.
उन्होंने कहा कि किसी भी कालखंड को समझने के लिए उसके मिट्टी के बर्तनों की शैलियों को पहचाना जाता है. मौर्य, गुप्त, राजपूत आदि संस्कृतियों की तरह ही महाभारत काल के भी मिट्टी के बर्तन इससे जुड़ी है. उन्होंने कहा कि समकालीन इतिहासकारों के बीच ये एक स्थापित तथ्य है.
फिलहाल इंद्रप्रस्थ कहना जल्दबाजी- एएसआई
उन्होंने कहा कि हाल ही में मौर्य काल की बावड़ी के नीचे मिट्टी के बर्तनों के टुकड़ों की खोज से पता चलता है कि खुदाई स्थल में महाभारत काल के दौरान कुछ गतिविधियां देखी गई होंगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगा, ये प्राचीन इंद्रप्रस्थ राजधानी है.
उन्होंने कहा कि खुदाई का काम पूरा होने में करीब दो साल लग जाएंगे. उसके बाद ही इस बारे में कोई ठोस दावा किया जा सकता है. वसंत स्वर्णकार ने कहा कि पुरातत्वविदों को एक ही जगह से गणेश (मुगल काल), गज लक्ष्मी (गुप्त काल) और भगवान विष्णु (राजपूत काल) की भी मूर्तियां मिली हैं.
क्या है महाभारत काल?
इस रिपोर्ट के मुताबिक, मौर्यकाल से पहले के कालखंड में भारत 16 महाजनपदों में विभाजित था. ये महाजनपद कुरु, पांचाल और अंग राज्यों से जुड़े थे, जिनका संबंध पांडव, द्रौपदी और कर्ण से जुड़ा है. संस्कृति मंत्रालय ने एक हालिया बयान में कहा था कि पुराने किले में चल रही खुदाई पांडवों की प्राचीन राजधानी इंद्रप्रस्थ को खोजने के लिए की जा रही है.
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