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NEW DELHI: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के समन के बाद एमसीडी ने कार्रवाई करते हुए सार्वजनिक शौचालयों में तेजाब के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।

दरअसल,  अप्रैल के शुरुआत में स्वाति मालीवाल ने दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित सार्वजनिक शौचालयों का निरीक्षण किया था, जहां उन्हें जीबी पंत अस्पताल के गेट नंबर 8 के सामने दरियागंज के एक सार्वजनिक शौचालय के अंदर खुले में 50 लीटर तेजाब से भरा डिब्बा बरामद किया था।

तेजाब मिलने पर होगी कार्रवाई

DCW प्रमुख स्वाति मालीवाल ने शौचालय में तेजाब मिलने  पर नाराजगी व्यक्त करते हुए नोटिस जारी किया था। आयोग के निर्देश पर एमसीडी अधिकारियों ने 18 मई को एक कार्यालय आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया है कि अनुबंध के उक्त प्रावधान (जो तेजाब के उपयोग को प्रोत्साहित करता है) को निरस्त कर दिया गया है और यदि कोई व्यक्ति शौचालयों में तेजाब का उपयोग/भंडारण करता पाया जाता है  तो एजेंसी के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

MCD आयुक्त ने नोटिस का दिया जवाब

आयोग ने इस मामले को एमसीडी के सामने उठाया और एमसीडी आयुक्त को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी। एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में 16 मई को आयोग के सामने पेश हुए और उन्होंने बताया कि वर्तमान में 308 सामुदायिक शौचालयों/सार्वजनिक शौचालयों को निजी एजेंसियों को आउटसोर्स किया गया है, जिनका एमसीडी के साथ बॉन्ड था,  जिसमें कहा गया है कि प्रति दिन 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। साप्ताहिक रूप से शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब का प्रयोग नहीं करने पर एजेंसी पर जुर्माना लगाया जा सकता है। पूछताछ करने पर पता चला कि अनुबंध दस्तावेज को नॉर्थ एमसीडी हाउस ने 2017 में मंजूरी दी थी, जिसमें साफ तौर पर शौचालयों की सफाई के लिए तेजाब के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया था।

डीसीडब्ल्यू प्रमुख स्वाति मालीवाल ने कहा,'हमें एमसीडी के शौचालय में भारी मात्रा में तेजाब मिला। शुरुआत में हमें लगा कि यह एमसीडी की ओर से शौचालयों का संचालन करने वाली निजी एजेंसी का गैर कानूनी काम है। हालांकि, इस मामले में हमारी पूछताछ ने कई राज का पिटारा खोल दिया। हमारी जांच से पता चला कि 2017 में नॉर्थ एमसीडी के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने 308 सार्वजनिक शौचालयों के संचालन के लिए निजी एजेंसियों के साथ बॉन्ड को मंजूरी देते हुए एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें उन्हें साप्ताहिक रूप से शौचालयों को साफ करने के लिए तेजाब का उपयोग करना अनिवार्य था। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें भारी जुर्माना देना होगा। एमसीडी जो खुद एक सरकारी संस्था है, एसिड के इस्तेमाल को बढ़ावा कैसे दे सकती है? यह चौंकाने वाला और अवैध है। DCW के हस्तक्षेप के बाद, MCD ने आखिरकार सुधारात्मक कदम उठाए हैं और इसके सार्वजनिक शौचालयों में एसिड का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है।”