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वैशाली और इंदिरापुरम में 20 साल पहले हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने वालों के लिए बुरी खबर

THN Network 

NEW DELHI: 20 साल पहले वैशाली (Vaishali ) और इंदिरापुरम (Indirapuram) हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने वालों को बड़ा झटका लग सकता है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) इन बिल्डर्स से मोटी रकम वसूल सकता है। हुआ यह कि अथॉरिटी ने साल 1986 से 1989 के बीच इंदिरापुरम और वैशाली हाउसिंग स्कीम्स (Housing Scheme) के लिए किसानों से 1748 एकड़ जमीन ली थी। अब कोर्ट के आदेश के बाद अथॉरिटी को मुआवजे के रूप में इन किसानों को 1000 से 1200 करोड़ रुपये और देने पड़ जाएंगे। जाहिर है यह रकम अथॉरिटी बिल्डर्स (Builders) से मांगेगी। इलाहबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) 12 जुलाई को उच्च भूमि मुआवजे के खिलाफ जीडीए की रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करेगा। उच्च भूमि मुआवजा 297 रुपये प्रति वर्ग गज है, जो कोर्ट द्वारा 2017 में तय किया गया था।

जीडीए के तहसीलदार दुर्गेश सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट के अपने मूल फैसले को बरकरार रखने की स्थिति में नकदी संकट से जूझ रही अथॉरिटी को तैयार रहना होगा। जीडीए दोनों हाउसिंग स्कीम्स के डेवलपर्स से अतिरिक्त लागत की वसूली कर सकता है।

90 और 50 रुपये वर्ग गज में ली थी जमीन

सिंह ने कहा, '1986 से 1989 के बीच जीडीए ने इंदिरापुरम आवास योजना के लिए 1,295 एकड़ और वैशाली योजना के लिए 453 एकड़ जमीन क्रमशः 90 रुपये प्रति वर्ग गज और 50 रुपये प्रति वर्ग गज की दर से अधिग्रहित की थी। साल 1991 में प्रभावित किसानों ने उच्च मुआवजे की मांग करते हुए जिला अदालत का दरवाजा खटखटाया था। साल 2001 में अदालत ने किसानों के पक्ष में फैसला सुनाया और मुआवजे की दर को बढ़ाकर 160 रुपये प्रति वर्ग गज कर दिया।'

2017 में कोर्ट ने 297 रुपये प्रति वर्ग गज किया मुआवजा

अथॉरिटी ने इस आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। साल 2017 में उच्च न्यायालय ने मुआवजे की राशि को बढ़ाकर 297 रुपये प्रति वर्ग गज कर दिया। बाद में जीडीए ने 2017 के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में GDA को हाईकोर्ट में एक रिव्यू पिटीशन दायर करने का निर्देश दिया था। साथ ही HC अपने मूल आदेश को बरकरार रखता है तो अथॉरिटी को सुप्रीम कोर्ट में वापस आने की स्वतंत्रता की अनुमति भी दी।

करीब 1,200 करोड़ रुपये देने पड़ेंगे

सिंह ने कहा, 'हम अभी भी 2017 के HC के आदेश के अनुसार कुल मुआवजे की राशि की गणना करने की प्रक्रिया में हैं। यह 1,000 करोड़ रुपये से 1,200 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है। बढ़ी हुई मुआवजा राशि डेवलपर्स और प्लॉट मालिकों से वसूल की जा सकती है।' टाउनशिप के प्रोपर्टी मालिकों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। सिंह ने कहा, 'आवंटन के दौरान, प्लॉट मालिकों और डेवलपर्स ने भविष्य में यदि आवश्यक हो, तो बढ़ी हुई भूमि मुआवजे को वहन करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त की थी।'

फेडरेशन कर रहा फ्लैट मालिकों से पैसा वसूलने का विरोध

हालांकि, अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन और रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन फ्लैट मालिकों से बढ़ी हुई भूमि मुआवजा राशि वसूल करने के किसी भी कदम के खिलाफ पहले से ही विरोध में हैं। फेडरेशन ऑफ AOAs के संरक्षक आलोक कुमार ने कहा, 'सबसे पहले, फ्रीहोल्ड प्रोपर्टी का कॉन्सेप्ट है और उस आधार पर हमारी ऐसी कोई देनदारी नहीं है। दूसरा, अगर जीडीए और डेवलपर्स के बीच सहमति थी, तो यह द्विपक्षीय थी और व्यक्तिगत फ्लैट मालिकों को बढ़े हुए मुआवजे के भुगतान के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता था। इंदिरापुरम में करीब 70 बिल्डर प्रोजेक्ट हैं जबकि वैशाली में 25 से ज्यादा बिल्डर प्रोजेक्ट हैं।


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