THN Network 

NEW DELHI: दिल्ली का असली बॉस कौन होगा इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में जो केस चल रहा था उस पर गुरुवार को फैसला आ गया है। दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र के बीच चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास ही असली शक्ति होनी चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
  1. सुप्रीम कोर्ट जस्टिस भूषण के उस फैसले से बिल्कुल सहमत नहीं है जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार के पास सेवाओं (ट्रांसफर-पोस्टिंग) को लेकर कोई भी अधिकार नहीं है।
  2. दिल्ली विधानसभा को यह शक्ति मिली है कि वह लोगों के उम्मीदों को पूरा कर सके।
  3. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एक राज्य का प्रशासन केंद्र अपने हाथ में न ले।
  4. एक प्रजातांत्रिक प्रारूप की सरकार में असली शक्ति लोगों द्वारा चुनी गई सरकार में ही होनी चाहिए।
  5. दिल्ली की सरकार के पास सेवाओं (ट्रांसफर-पोस्टिंग) को लेकर विधाई शक्ति है। हालांकि इसमें पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और भूमि शामिल नहीं हैं।
  6. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और माना कि नौकरशाहों पर उसका नियंत्रण होना चाहिए।
  7. कोर्ट ने ये भी कहा कि एलजी को सरकार के साथ हर फैसले के लिए सरकार से बात करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार अन्य राज्यों की तरह लोगों के प्रति जवाबदेह है, लेकिन उसके अधिकार कम है।
  8. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर देते हैं या उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत प्रभावित होता है।
  9. अधिकारियों को लगता है कि वे सरकार के नियंत्रण से अछूते हैं, जो जवाबदेही को कम करेगा और शासन को प्रभावित करेगा।
  10. CJI डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच चल रहे विवाद पर आज बहुमत से फैसला सुनाया। इस विवादास्पद मुद्दे पर फैसले के बाद ये साफ हो गया कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार ही अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग को लेकर प्रशासनिक सेवाओं को नियंत्रित करेगी।