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NEW DELHI: ट्रांसफर-पोस्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ घंटों बाद ही दिल्ली सरकार ने सेवा सचिव आशीष मोरे को हटा दिया. अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी. गौरतलब है कि गुरुवार (11 मई) को दिल्ली की आप सरकार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर दूसरी सेवाओं पर दिल्ली सरकार के पास कानूनी और प्रशासकीय नियंत्रण है. 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अब यहां काम में तेजी आएगी क्योंकि पहले उनके हाथ बंधे हुए थे. उन्होंने साथ ही घोषणा की थी कि जनता के कार्यों को बाधित करने वाले अधिकारियों को नतीजे भुगतने होंगे.

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दिल्ली सचिवालय में कैबिनेट की बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सीएम केजरीवाल ने गुरुवार कहा कि जिन अधिकारियों ने जनता के कार्यों को बाधित किया वे आने वाले दिनों में नतीजे भुगतेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे हाथ बांध कर मुझे पानी में फेंक दिया गया था लेकिन तमाम बाधाओं के बावजूद हम तैरते रहें, हमने दिल्ली के लिए अच्छे काम किए.’’केजरीवाल ने दिल्ली की जनता का उनकी इस लड़ाई में समर्थन करने के लिए धन्यवाद किया. गौरतलब है कि दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार की विधायी और शासकीय शक्तियों से जुड़े कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया गया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2015 में एक अधिसूचना जारी की थी कि उसके पास दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण है. अरविंद केजरीवाल की सरकार ने इस अधिसूचना को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ए एम सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.