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दिल्ली: नांगलोई थाने में पुलिसकर्मी की लापरवाही के चलते गई जान

THN Network (Delhi / NCR Desk): 



राजधानी दिल्ली का नांगलोई इलाका एक बार फिर चर्चा में है। कंझावला में 31 दिसंबर की रात अंजलि को कार के नीचे कई किमी तक घसीटे जाने की घटना ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे। अब एक और मामले ने पुलिसिया सिस्टम की लापरवाही को उजागर किया है। दिल्ली में छोटी-छोटी बात पर चाकूबाजी और पिटाई की घटनाएं अब आम हो गई हैं। लोग सड़क पर इतने गुस्से में निकलते हैं कि मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं लेकिन नांगलोई में दिल्ली पुलिस ने थोड़ी सतर्कता बरती होती तो एक जान बचाई जा सकती थी। विशाल मलिक जिम से लौट रहे थे। रास्ते में एक RTV (छोटी बस) के ड्राइवर से उनकी बाइक टच हो गई। विशाल मलिक और RTV ड्राइवर में बहस हुई तो ड्राइवर के सपोर्ट में कई लड़के आ गए। उन्होंने विशाल के साथ मारपीट की। विशाल वहां से पैदल ही भाग निकला। वह सीधे नांगलोई थाने पहुंच गया। रास्ते में उसने अपने छोटे भाई को भी थाने बुला लिया। इसके बाद जो हुआ, वह पुलिस की सुस्ती और लापरवाही को बयां करता है।

विशाल ने पुलिस से आग्रह किया कि उसने बाइक वहीं पर छोड़ दी है, कोई पुलिसकर्मी साथ चला जाए तो उसका छोटा भाई बाइक उठा लाए। लेकिन पुलिसवालों ने नहीं सुनी। आखिर में बिना किसी सुरक्षा के साहिल मलिक बाइक लेने चला गया। आमतौर पर जान का खतरा होने पर अगर बात पुलिस तक पहुंचती है तो उसका फर्ज होता है कि वह संबंधित व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करे लेकिन आम आदमी को पुलिस इतनी तवज्जो देती कहां है।

साहिल बाइक लेने गया तो वे लड़के पहले से ताक लगाए बैठे थे। उन्होंने साहिल पर हमला बोल दिया। उस पर चाकू से कई वार किए गए। महाराजा अग्रसेन अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका। साहिल के घरवालों का कहना है कि पूरा दोष नांगलोई पुलिस का है। विशाल लगातार कह रहा था कि उसकी बाइक उन लोगों ने तोड़ दी है। कोई पुलिसकर्मी भाई के साथ चला जाता तो ठीक रहता। उसे खतरा हो सकता है लेकिन पुलिसवाले खामोश रहे। विशाल का कहना है कि अगर कोई पुलिसकर्मी साहिल के साथ जाता तो उसके भाई की जान बचाई जा सकती थी।

परिवार के एक सदस्य ने कैमरे के सामने पूरी घटना बताई। उन्होंने कहा कि जहां वारदात हुई, वहां से नांगलोई थाना महज 200 मीटर की दूरी पर है। आईओ मुकेश मलिक साहब ने थाने में विशाल की रिपोर्ट लिखी थी। विशाल ने पूरी घटना बताई। उसने यह भी कहा कि अंकल मेरी बाइक उन्होंने तोड़ दी है और वे लोग वहीं पर खड़े हैं। आप मेरे साथ वहां पर चलो। छोटा भाई साहिल उद्योग नगर हुंडई शोरूम में जॉब करता था। साढ़े छह बजे छुट्टी हुई तो वह भी आ गया था। साहिल थाने पर था। विशाल ने साहिल से कहा कि तू जाकर बाइक ले आ। वह बाइक लेने गया तो वहां 8-10 लोग खड़े हुए थे। लाठी-डंडे और छुरी के हमले से उसे वहीं मार डाला।

घटना के बाद का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है जिसमें एक शख्स घायल दिखाई देता है। दूसरा व्यक्ति उसे उठाकर ले जाने की कोशिश कर रहा होता है। वह सड़क पर लोगों से मदद मांगता है लेकिन कारवाले चले जाते हैं। घायल व्यक्ति का शरीर पूरी तरह शांत पड़ चुका था। हैरानी और दुख की बात है कि न तो हमले के समय और न ही बाद में आसपास का कोई व्यक्ति मदद के लिए आगे आया। बड़ा भाई मदद की भीख मांगता रहा लेकिन सब तमाशबीन बने रहे। पहले पुलिस ने लापरवाही की और बाद में खून से लथपथ साहिल को देख लोगों का दिल नहीं पसीजा। अगर जल्दी मदद मिलती तो शायद साहिल को बचाया जा सकता था। समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने और ज्यादा खून बहने से छोटे भाई ने दम तोड़ दिया।


बड़े भाई का रो-रोकर बुरा हाल है। उसे भीतर ही भीतर यह सवाल खाए जा रहा है कि अगर उसने छोटे को न भेजा होता तो शायद वह जीवित रहता। घरवालों और आसपास के लोगों ने सीधे तौर पर साहिल की हत्या के लिए पुलिसवालों को जिम्मेदार ठहराया है। जांच होगी, हत्यारे गिरफ्तार होंगे लेकिन कंझावला की एक और घटना ने पुलिस पर प्रश्नचिन्ह तो लगा ही दिया है।

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