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नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन पर क्यों लगा जमीन कब्जा करने का आरोप, जानिए क्या है पूरा मामला?

THN Network (Delhi / NCR Desk): 

विश्वभारती विश्वविद्यालय ने नोबेल अवॉर्डी अमर्त्य सेन को 13 डिसमिल जमीन खाली करने को लेकर नोटिस भेजा है. विश्वभारती विश्वविद्यालय की तरफ से अमर्त्य सेन को 3 दिन के भीतर दूसरा नोटिस भेजा गया है. इस नोटिस में अमर्त्य सेन को तुंरत जमीन खाली करने को कहा गया है. प्रबंधन का आरोप है कि सेन के पास उनके हिस्से से ज्यादा जमीन है  इसलिए ये जमीन सेन को तुरंत लौटा देना चाहिए. 

प्रबंधन का कहना है कि वो ज्यादातर अमेरिका में रहते हैं तो शांति निकेतन परिसर में जमीन के अवैध कब्जे को खाली कर दें.  इस नोटिस में अमर्त्य सेन को 24 मार्च तक नोटिस का जवाब देने और 29 मार्च को यूनिवर्सिटी के ज्वाइंट रजिस्ट्रार के सामने पेश होने को भी कहा गया है.

यूनिवर्सिटी का आरोप है कि उन्होंने एक जमीन पर कथित रूप से अवैध कब्जा किया है. नोटिस जारी कर सेन से ये भी पूछा गया है कि जमीन को खाली नहीं करने पर उनके खिलाफ बेदखली का आदेश क्यों नहीं जारी किया जाए. 

नोटिस में कहा गया है, "अगर आप और आपके अधिकृत प्रतिनिधि दी गई तारीख पर पेश नहीं होते हैं तो ये समझा जाएगा कि आप जानबूझकर नोटिस का जवाब नहीं देना चाहते और आपके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी." 

बता दें कि 89 वर्षीय सेन, फिलहाल अमेरिका में रहते हैं और अभी तक उनके या उनके परिवार की तरफ से नोटिस को लेकर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है. यूनिवर्सिटी का दावा है कि शांति निकेतन परिसर में अमर्त्य सेन के पास कानूनी रूप से 1.25 एकड़  की जमीन ही है. लेकिन अमर्त्य सेन ने कुल 1.38 एकड़ जमीन पर कब्जा किया हुआ है. 

इसी बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने शांति निकेतन में स्थित 1.38 एकड़ जमीन के पट्टे के अधिकार को नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के नाम कर दिया है. इस सिलसिले में बीरभूम जिला मजिस्ट्रेट बिधान रे ने कहा कि "हमने अमर्त्य सेन को उनके पिता आशुतोष सेन के कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में भूमि के अधिकार सौंप दिए हैं. ऐसे में अब अनधिकृत कब्जे का सवाल ही नहीं उठता . हमने सेन की तरफ से पेश किए गए कागजात की जांच के बाद ही ये कदम उठाया है. इस जांच में विश्व भारती के अधिकारी भी मौजूद थे'. 

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